Tose Nainaa Milaai Ke Spoiler: देव नारायण पर फूटा कुहू का गुस्सा, राजीव की हालत गंभीर

Tose Nainaa Milaai Ke Full Episode 111: देव नारायण पर फूटा कुहू का गुस्सा।
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Tose Nainaa Milaai Ke Full Episode 111: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक तोसे नैना मिलाई के (Tose Nainaa Milaai Ke) में दिलचस्प ड्रामे की एंट्री हुई है। शो में आप सभी देखेंगे कि राजीव को पुतलियां दान करने वाली कोई और नहीं बल्कि उस औरत की बेटी है, जिसने देव नारायण के वंश को खत्म होने का श्राप दिया था। डॉक्टर द्वारा पूरे परिवार को बताया जाता है, कि अब ऑपरेशन नहीं हो पाएगा, क्योंकि दानकर्ता ने आंखे देने से इंकार कर दिया है। कुहू तारामती के बारे ने जानकारी निकालती है और उनसे आंखें दान करने का अनुरोध करती है। लेकिन, वह नहीं मानती है। तारामती कुहू को बताती हैं, कि देव नारायण के गलत फैसले से उसकी बेटी की जिंदगी नर्क हो गई और आखिरकार उसने दम तोड़ दिया। तारामती दो टूक में कुहू से कहती है, कि वह देव नारायण के बेटे के लिए अपने बेटी की पुतलियां नहीं देगी।

कुहू डॉक्टर से मिलती है और वह उन्हें भी आंखो का इंतजाम करने के लिए कहती है। लेकिन, डॉक्टर का मानना है, कि जब तक राजीव के सर में दर्द है, तभी तक ही ऑपरेशन किया जा सकता है। सर का दर्द जाने से राजीव की रोशनी लौटने की उम्मीद खत्म हो जाएगी। जबकि दूसरी ओर घर पर सभी लोग आंखो की पुतलियों की खोज में जुटे रहते है। इसके अलावा राजीव की परेशानियों को देखकर सभी परेशान रहते है। जल्दी ही घर पर कुहू आती है। कुहू के आने के बाद देव नारायण उससे आंखो के दानकर्ता के बारे में सवाल करता है। कुहू देव नारायण को कुछ भी बताने से इंकार कर देती है, जिसके बाद देव नारायण गुस्सा हो जाता है और वह उसे मारने के लिए टेबल उठा लेता है। बार- बार पूछे जाने के बाद कुहू सभी को बताती हैं, कि वह दानकर्ता कोई और नहीं बल्कि खुद तारामती है, जिसके बाद सभी के पैरो तले जमीन खिसक जाती है। राजीव की हालत का कसूरवार कुहू देव नारायण को घोषित करती है। कुहू का मानना है, कि देव नारायण के गलत फैसले के कारण तारमती की बेटी ने दुनिया छोड़ दिया।

क्या राजीव के आंखो का ऑपरेशन हो पाएगा? अब आगे क्या होगा? आपको क्या लगता है? हमें अपनी राय नीचे कमेंट सेक्शन में बताए और अधिक अपडेट पाने के लिए बने रहे हमारे साथ।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।