Tose Nainaa Milaai Ke Spoiler: सीढ़ियों से गिरी कुहू, राजीव ने उठाया गोद

Tose Nainaa Milaai Ke Full Episode 85: सीढ़ियों से गिरी कुहू, राजीव ने उठाया गोद।
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Tose Nainaa Milaai Ke Full Episode 85: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक तोसे नैना मिलाई के (Tose Nainaa Milaai Ke) में दिलचस्प ड्रामे की एंट्री हुई है। शो में आप सभी ने अब तक देखा कि देखा कि कुहू राजीव को खूब समझाती है, कि हंसिका की गलती को माफ कर दिया जाए। इसके अलावा संजीव भी हंसिका की हरकत के चलते उससे गुस्सा रहता है। कुहू संजीव और हंसिका को मिलाने के लिए एक खेल खेलती है, जिससे वे दोनों दोबारा एक हो जाते हैं। जबकि दूसरी ओर देव नारायण राजीव को कुहू के खिलाफ खूब भड़काने की कोशिश करता है। बाद में, घर में राजीव कुहू की गुस्से से अपने पास बुलाता है और उसे जोर से गले लगा लेता है। देव नारायण समझ जाता है, कि उसको योजना नाकाम हो गई है।

अब आने वाले एपिसोड में, आप सभी देखेंगे कि देव नारायण इस बात से परेशान रहता है, कि कुहू और राजीव में वह फुट नहीं डाल पा रहा है। जल्दी ही राजीव देव के कमरे में आता है और उससे वह अतीत में राजीव के खिलाफ बोल गए शब्दो के बारे में बात करता है। राजीव अपने पिता से कहता है, कि उसके आंखो कि लाचारी का सबसे बड़ा मजाक खुद देव नारायण ने बनाया है। बाद में, कुहू और राजीव कमरे में एक साथ अपनी बाते करते हैं और कुहू उसे समझाती है, कि प्यार करने की जगह बेडरूम है ना कि सभी के सामने। हंसिका और देव नारायण कुहू और राजीव के बीच दरार पैदा करने के लिए योजना बनाते हैं। हंसिका कुहू के पायल को छुपा देती है और उसके चप्पल में तेल लगा देती है, जिसके कारण कुहू सीढियों से नीचे गिर जाती है। मगर मौके पेट अवधेश आकर कुहू को बचा लेता है। देव नारायण फिर से राजीव को भड़काते हुए कहता है, कि कुहू नहीं चाहती है, कि राजीव उसके बच्चे का बाप बने। कुहू की हालत देखकर अवधेश उसे कमरे में छोड़ने का फैसला करता है। लेकिन, राजीव उसे ऐसा करने से रोक देता है और खुद कुहू को गोद में उठाकर अपने बेडरूम में लेकर जाता है।

एक नज़र नीचे डाले-

अब देखना यह दिलचस्प होगा कि देव नारायण कुहू और राजीव को अलग करने के लिए अब क्या- क्या करता है? आपको क्या लगता? हमें अपनी राय नीचे कमेंट सेक्शन में बताए और अधिक अपडेट पाने के लिए बने रहे हमारे साथ।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।