Purnima: सिद्धार्थ पर फूटा पूर्णिमा का गुस्सा

Purnima Full Episode 138: सिद्धार्थ पर फूटा पूर्णिमा का गुस्सा।
Purnima: सिद्धार्थ पर फूटा पूर्णिमा का गुस्सा 40678

Purnima Full Episode 138: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक पूर्णिमा (Purnima) में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है। शो में आप सभी देखेंगे कि वत्सला मंजू के जरिए पूर्णिमा और सिद्धार्थ को अलग करने का फैसला करती है। वह मंजू से कहती हैं, कि जब तक धुव्र नहीं आ जाता, तब तक पूर्णिमा और सिद्धार्थ एक कमरे में नहीं रह सकते हैं। बस इसी बात के बाद मंजू सिद्धार्थ और पूर्णिमा को अपना फैसला सुनाते हुए कहती हैं, कि तुम दोनों एक कमरे में नहीं रह सकते। पूर्णिमा मंजू की बातो का विरोध करती हैं, मगर सिद्धार्थ मंजू की बातो मान रखने का फैसला करता है। पूर्णिमा और सिद्धार्थ में इसके लिए झगड़ा भी हों जाता है, जिसके बाद सिद्धार्थ गुस्से में बर्तन फेंक देता है। सिद्धार्थ का मानना है, कि मंजू पूर्णिमा और सिद्धार्थ को कसूरवार मानती हैं, इसलिए उन्हें सजा देना चाहती है। पूर्णिमा सिद्धार्थ को समझाने की कोशिश करती हैं, कि यह सब वत्सला की चाल है, जिसके जाल में वे फंस रहे हैं।

आखिर में, पूर्णिमा भी मंजू की इच्छा पर मंजूरी देती है और सिद्धार्थ से कहती हैं, कि कमरे में बाहर पूर्णिमा खुद सोएगी। पूर्णिमा की बातो को सुनने के बाद सिद्धार्थ उससे बहस करता है, मगर पूर्णिमा जिद पर अड़ जाती है। जबकि दूसरी ओर वत्सला योजना बनाती हैं, कि वह अब सिद्धार्थ के कमरे में खुद की जगह बनाएगी। पूर्णिमा सोफे पर सो जाती हैं और सिद्धार्थ कमरे में परेशान होकर बैठा रहता है। तभी अचानक वत्सला उसके कमरे में, डरी हुई आती है और उससे कहती हैं, कि उसने बुरा सपना देखा। इसके अलावा वह सिद्धार्थ से कहती हैं, कि वह चाहती है, कि आज रात वह उसके कमरे में ही सोए, क्योंकि उस डर है, कि उसे उसके कमरे में दोबारा बुरा सपना न आ जाए। वत्सला दिमाग लगा कर सिद्धार्थ के कमरे में सो जाती है और पूर्णिमा के उठने के समय पर कमरे से निकलती है। पूर्णिमा वत्सला को सिद्धार्थ के कमरे से निकालता हुए देखकर दंग रह जाती है। जल्दी ही सिद्धार्थ भी कमरे से बाहर आता है, जिसे देखने के बाद पूर्णिमा का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच जाता है। वह ऊंची आवाज में चिल्लाते हुए हंगामा मचा देती है और सिद्धार्थ से इस बारे में सवाल करती है। वत्सला पूर्णिमा को शांत करवाने की कोशिश करती है, लेकिन पूर्णिमा के गुस्से का शिकार वत्सला भी हो जाती है।

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विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।