Purnima: पूर्णिमा ने रोका वत्सला और ध्रुव का सात फेरा

Purnima Full Episode 125: पूर्णिमा ने रोका वत्सला और ध्रुव का सात फेरा ।
Purnima: पूर्णिमा ने रोका वत्सला और ध्रुव का सात फेरा 40022

Purnima Full Episode 123: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक पूर्णिमा (Purnima) में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है। शो में आप सभी देखेंगे की मंजू यानी सिद्धार्थ की मां बार- बार बाहर हुए ड्रामे के बारे में सोचकर परेशान होती रहती है। जल्दी ही कमरे में, दरोगा जी आते हैं, जिसके बाद मंजू तिजोरी से जायदाद के कागजात बाहर निकालती है। हालांकि, वे दोनों इस बात से अनजान हैं, कि वत्सला उनके बातो को कान लगाकर सुन रही है। मंजू दरोगा को कोई पुराना शर्त याद दिलाती है और पूरा जायदाद ध्रुव के नाम करने के लिए कहती हैं, जिसके लिए दरोगा राज़ी नहीं होता है। वह मंजू से कुछ दिन की मोहलत मांगता है और उसे चुप रहने का अनुरोध करता हैं, मगर मंजू ज़िद पा अड़ जाती है और दरोगा को जबरजस्ती अपने साथ रजिस्टार ऑफिस लेकर जाती है। घर पर सभी लोग दरोगा और मंजू की खोज बीन करते हैं, मगर वे उन्हें कहीं भी नहीं मिलते हैं।

बबली और लवली उन्हें कॉल भी करती हैं, जिसे वे दोनों नहीं उठाते हैं। मेहमान ज्यादा सवाल ना करे, इसलिए बबली और लवली ‘ वाह- वाह राम जी‘ पर डांस करती है, जिससे सभी उनकी ओर भटक जाए। जबकि दूसरी ओर मजबूरन दरोगा को पूरी जायदाद धुव्र के नाम करनी पड़ती है। वहीं घर पर मुहूर्त का समय निकला जाता है, इसलिए ध्रुव और वत्सला अपनी शादी की विधि शुरू करते हैं। दरोगा अपने घर के नीचे आकर पूर्णिमा को कॉल करके नीचे बुलाता है। पूर्णिमा के नीचे आने के बाद दरोगा उससे कहता हैं, कि उन्हें यह शादी रोकनी होगी, अन्यथा कोई बड़ी मुसीबत आ जाएगी। पूर्णिमा को विश्वाश दिलाने के लिए दरोगा एक पंडित को पेश करता है, जो उन्हें शादी रोकने का सुझाव देता है। पूर्णिमा अपना दिमाग दौड़ाती है और सेब खरीद कर उपर पहुंचती है। वह शादी के मंडप में, देखती है, कि वत्सला और ध्रुव अपने फेरे के लिए तैयार हो रहे हैं, जिसे वह जाकर रोक देती है।

अब देखना यह वाकई दिलचस्प होगा, कि वह कौनसा राज है, जिसे दरोगा पूरे परिवार से छुपा कर रखा है? आपको क्या लगता है? हमें अपनी राय नीचे कमेंट सेक्शन में बताए और अधिक अपडेट पाने के लिए बने रहे हमारे साथ।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।