Purnima: वत्सला के चाल का शिकार हुई पूर्णिमा, सिद्धार्थ का फूटा गुस्सा

Purnima Full Episode 140: वत्सला के चाल का शिकार हुई पूर्णिमा।
Purnima: वत्सला के चाल का शिकार हुई पूर्णिमा, सिद्धार्थ का फूटा गुस्सा 40820

Purnima Full Episode 140: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक पूर्णिमा (Purnima) में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है। शो में आप सभी देखेंगे कि वत्सला बार- बार परिवार वालो को ऐसा दिखाती हैं, कि पूर्णिमा उसे और उसके बच्चे को जान से मारना चाहती है। वहीं सभी लोग खाना खाने के लिए बैठे रहते है, तभी वत्सला पेट दर्द का बहाना करके अपने कमरे में जाती हैं। वत्सला के जाने के बाद सिद्धार्थ पूर्णिमा को उसके कमरे में खाना पहुंचाने की सलाह देता है, जिसे पूर्णिमा मान लेती है। जल्दी ही वत्सला अपने कमरे में जोर- जोर से चिल्लाती है, जिसे सुनकर सिद्धार्थ और बाकी परिवार के सदस्य कमरे में इकट्ठे होते हैं। वत्सला अपने खाने में छिपकली डाल देती है और पूरा इल्जाम पूर्णिमा के मत्थे फोड़ देती है। पूर्णिमा यह सब देखकर हैरान हो जाती है और अपनी बेगुनाही साबित करने की कोशिश करती हैं, मगर लवली और बबली सिद्धार्थ को पूर्णिमा के खिलाफ और भड़का देते हैं।

बाद में, सिद्धार्थ फैसला करता है, कि अब से वह वत्सला का ख्याल वह खुद रखेगा। रात में, वत्सला दोबारा सिद्धार्थ के कमरे में सोने की कोशिश करती हैं, मगर पूर्णिमा ने पहले से ही सिद्धार्थ के कमरे में अपने बच्चों को सुलाया है, जिसे देखकर वत्सला चीड़ जाती है। अगले दिन वत्सला अपने कमरे में, नींबू और जादू टोने का सामान रखती हैं और उसे देखकर जोर- जोर से चिल्लाने लगती है। हर बार की तरह इस बार भी सभी लोग इकट्ठे होते हैं और इल्जाम पूर्णिमा पर लगता है। पूर्णिमा खुद को बेगुनाह बताती हैं, मगर मंजू की नजर उसके साड़ी के पल्लू पर जाती हैं, जिसमें सिन्दूर बांधा है। यह चाल भी वत्सला की है, जिससे पूर्णिमा अनजान है। यह सब देखकर मंजू गुस्सा हो जाती है और पूर्णिमा को जोरदार थप्पड़ मारती है। इसके अलावा सिद्धार्थ भी पूर्णिमा पर भड़क जाता है। पूर्णिमा कमरे से बाहर निकलती है और सिद्धार्थ उसके पीछे गुस्से में जाता है, जिसे दरोगा जी पकड़ लेते हैं। दरोगा जी सिद्धार्थ को चेतवानी देते हैं, कि अगर पूर्णिमा को कुछ किया तो, उससे बुरा कोई नहीं होगा।

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विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।