Purnima: वत्सला की नई चाल से बेचैन हुई पूर्णिमा

Purnima Full Episode 133: वत्सला की नई चाल से बेचैन हुई पूर्णिमा।
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Purnima Full Episode 133: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक पूर्णिमा (Purnima) में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है। शो में आप सभी ने अब तक देखा कि मंजू देखती है, कि वत्सला सिद्धार्थ का पुतला बनाकर उसके साथ बैठी है। मंजू कुछ समझे उसके पहले वत्सला उससे कहती हैं, कि धुव्र को घर में लाने में वह उसकी मदद कर सकती है, मगर उसके लिए उन्हें वत्सला का साथ देना होगा। मंजू के साथ बबली और लवली भी आ जाते हैं और उनके सामने दोबारा वत्सला मंजू से वादा करती हैं, कि वह धुव्र को घर में वापस लेकर आएगी। मंजू, लवली और बबली वत्सला से हाथ मिलाते हैं, तभी अचानक पूर्णिमा आ जाती है। पूर्णिमा यह सब देखकर हैरान हो जाती है और अपनी पूजा की तैयारी करती है। योजना के मुताबिक, लवली पूर्णिमा को बुरा भला कहती हैं, तभी सिद्धार्थ आकर लवली को फटकार लगता है। लवली और सिद्धार्थ के बीच काफी बहस होती हैं, जिसके बाद मंजू उन दोनों को शांत करवाती है। इसके अलावा सिद्धार्थ पूर्णिमा को चाय बनाने के लिए कहता है, जिसे बनाने के लिए वह किचन में जाती है। किचन में वत्सला के आ जाने से पूर्णिमा दोबारा परेशान हो जाती है। इस बार वत्सला पूर्णिमा से कहती हैं, कि वह उसके पति को छीन लेगी। वहीं कमरे में, लवली अपना बिस्तर पैक करती रहती हैं, क्योंकि सिद्धार्थ की बातो से वह दुखी है। जल्दी ही उसके कमरे में पूर्णिमा आती है और वह उसे समझाने की कोशिश करती हैं। लेकिन, लवली और बबली पूर्णिमा को ही बुरा भला कहने लगते हैं। इसके साथ बबली पूर्णिमा से कहती हैं, कि उन्हें वत्सला जैसी भाभी चाहिए थी, जो पढ़ी लिखी हो। इसके अलावा वह यह भी कहती हैं, कि उन्हें पूर्णिमा जैसी अनपढ़ भाभी नहीं चाहिए थी, जिसके बाद पूर्णिमा चीड़ जाती है और बबली को थप्पड़ जड़ती है।

अब आने वाले एपिसोड में, आप सभी देखेंगे कि बबली और लवली पूर्णिमा को चुनौती देती हैं, कि वह उसकी जिंदगी बर्बाद कर देंगी। इसके अलावा वह कहती हैं, कि वह दोनों वत्सला का साथ देंगे, जिससे सिद्धार्थ पूर्णिमा की जिंदगी से दूर हो जाए। पूर्णिमा यह सब सुनती है और कमरे से बाहर आ जाती है। वह देखती है, कि वत्सला सिद्धार्थ से कहती हैं, कि वह उसके कप में चाय पिएगा तभी वह चाय पिएगी। इसके अलावा वह उसे यह भी बताती हैं, कि अगर वह चाय नहीं पीती है, तो उसका सर दर्द होता है, जिसका असर उसके पेट में पल रहे बच्चे पर भी होगा। साथ ही वह सिद्धार्थ से कहती हैं, कि वह उसका इंतज़ार कर रही है। बाद में, वत्सला के कमरे में, सिद्धार्थ पूर्णिमा के साथ जाता है और वत्सला के कप के चाय पीता है। वह वत्सला को बताता है, कि वह हर काम में अपनी पत्नी को जरूर शामिल रखेगा, जिसके बाद वत्सला नहीं योजना बनाती है। वह हॉस्पिटल में जाती है और डॉक्टर से कहती हैं, कि उसे अपने बच्चे की धड़कन सुनना है। डॉक्टर कहती हैं, कि आपके पति को भी बुलाओ। बस यही सुनने के बाद वत्सला के दिमाग में, नहीं योजना आती है और वह डॉक्टर की मदद से सिद्धार्थ को कॉल करवाती है। डॉक्टर सिद्धार्थ से कहती हैं, कि बच्चे की हालत खराब है, जिसके बाद वह हॉस्पिटल जाने के लिए निकलता है। जबकि दूसरी ओर पूर्णिमा इस बात से परेशान है, कि वत्सला किसी नई चाल के साथ सिद्धार्थ को परेशान ना करे।

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विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।