Purnima: पूर्णिमा और वत्सला के बीच हुई लड़ाई

Purnima Full Episode 139: पूर्णिमा और वत्सला के बीच हुई लड़ाई।
Purnima: पूर्णिमा और वत्सला के बीच हुई लड़ाई 40768

Purnima Full Episode 138: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक पूर्णिमा (Purnima) में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है। शो में आप सभी देखेंगे कि पूर्णिमा वत्सला को सिद्धार्थ के कमरे से निकालता हुए देखकर दंग रह जाती है। जल्दी ही सिद्धार्थ भी कमरे से बाहर आता है, जिसे देखने के बाद पूर्णिमा का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच जाता है। वह ऊंची आवाज में चिल्लाते हुए हंगामा मचा देती है और सिद्धार्थ से इस बारे में सवाल करती है। वत्सला पूर्णिमा को शांत करवाने की कोशिश करती है, लेकिन पूर्णिमा के गुस्से का शिकार वत्सला भी हो जाती है। पूर्णिमा लगातार अपने सवालों के जवाब के लिए सिद्धार्थ पर दबाव बनाती हैं, जिसपर सिद्धार्थ गुस्सा हो जाता है और वह कहता है, कि वत्सला के कोख में पल रहा बच्चा मेरा है, इसलिए मैंने वत्सला को कमरे में सुला लिया। इसके अलावा मंजू भी पूर्णिमा को शांत करने की कोशिश करती हैं, जिसपर पूर्णिमा उन्हें भी चुप रहने की सलाह देती है। वत्सला कुछ कहे उसके पहले पूर्णिमा उसे चेतवानी देती हैं, कि वह उसे उसके बच्चे के नाम पर सभी की दया नहीं लेने देगी।

वत्सला अपना शातिर दिमाग लगाते हुए सिद्धार्थ से कहती हैं, कि मुझे डर है, कि पूर्णिमा मेरे बच्चे को कुछ न कर दे। बाद में, पूर्णिमा किचन में काम करती रहती हैं, तभी अचानक वत्सला आती है और वह पूर्णिमा को उकसाने की कोशिश करती हैं, मगर पूर्णिमा कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देती है। जल्दी ही वत्सला किचन का सारा बर्तन गिरा देती है और खुद के सर पर बोतल फोड़ देती हैं, जिसके बाद सभी लोग इक्कठे हो जाते हैं। वत्सला यह सब इल्जाम पूर्णिमा पर लगाती हैं, जिसके बाद मंजू उसपर हाथ उठा लेती है। लेकिन, पूर्णिमा मंजू का हाथ पकड़ लेती है और कहती हैं, कि इस बार उसकी कोई भी गलती नहीं है। सिद्धार्थ पूर्णिमा का हाथ पकड़कर उसे कमरे में लेकर जाता है और वह उसे वत्सला की मलहम पट्टी करने के लिए कहता है। काफी बहस के बाद पूर्णिमा वत्सला की मलहम पट्टी करती है। जबकि पूरा परिवार सिद्धार्थ को पूर्णिमा के खिलाफ भड़काता है। इसके अलावा वत्सला और पूर्णिमा में तीखी बहस होती हैं, जिसमें वे दोनों एक दूसरे को चुनौती देते हैं।

 

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विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।