Mann Sundar: नाहर के लिए रूही के दिमाग में पन्फी गलतफहमियां

Mann Sundar Full Episode 769: नाहर के लिए रूही के दिमाग में पन्फी गलतफहमियां।
Mann Sundar: नाहर के लिए रूही के दिमाग में पन्फी गलतफहमियां 40749

Mann Sundar Full Episode: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक मन सुंदर(Mann Sundar) में दिलचस्प ड्रामे की एंट्री हुई है। शो में, आप सभी देखेंगे कि अग्नि रूही के दिल में नाहर के लिए गलतफहमी भरने का फैसला करती है और वह बार- बार नाहर के करीब जाती हैं, जिसे देखकर रूही परेशान हो जाती है। इसके अलावा नाहर की मां की चुनरी उड़कर रूही पर गिरती है, मगर जब सोनी उसे लेने आती हैं, तो वह देखती है, कि चुनरी अग्नि के सर पर है। अग्नि सोनी को चुनरी देती है और अपने चाल पर खुश होती हैं। दरअसल, दादी और अग्नि मिलकर रूही से चुनरी लेकर उसे बाहर भेज देते हैं और उस चुनरी को अग्नि को ओढ़ा देते हैं। अब सोनी को ऐसा लग रहा है, कि नाहर की मां कोई इशारा देना चाहती हैं, जिसे वह समझ नहीं पा रही है। जल्दी ही दादी आती है और वह इस बारे में सोनी से बात करती हैं। दादी सोनी से कहती हैं, कि वह नाहर की मां की ओर से दान करेंगी, वह भी अग्नि के हाथो से। इसके अलावा दादी यह भी बताती हैं, कि नाहर की मां ने नाहर और अग्नि का रिश्ता बचपन में ही तय कर दिया था।

यह सब सुनकर रूही को बेहद तकलीफ होती है और वह इस बारे में सोचने लगती है। वह नाहर के लिए नाश्ता लेकर जाती हैं, जिसे नाहर नहीं खाता है। नाहर रूही को बताता है, कि उसने अग्नि के साथ नाश्ता कर लिया है। बाद में, रूही नाहर के लिए कॉफी लेकर जाती है और वह देखती है, कि नाहर पहले से ही अग्नि के हाथो के कॉफी का स्वाद ले रहा है। अग्नि रूही को देखकर नाहर के बेहद करीब जाती हैं, जिससे रूही के दिल में नाहर और अग्नि के लिए गलतहमियां पलने लगती है। रूही सभी को मनाने के लिए एक योजना बनती हैं। वह फैसला करती हैं, कि वह सभी को पुरानी तस्वीरें दिखाएगी, जिससे सभी लोग खुश हो जाए। लेकिन, अग्नि रूही की योजना को अपने नाम कर देती है और वह अवनी के साथ मिलकर सभी को सरप्राइज देती है। सरप्राइज के रूप में वह सभी को पुरानी तस्वीरें दिखाती हैं, जिसे देखकर रूही यह सोचने लगती हैं, कि यह योजना तो उसका था। जल्दी ही नाहर और अग्नि की बचपन की तस्वीरें सामने आती हैं, जिसे देखकर दादी कहती हैं, कि हमें लगा था इनकी शादी हो जायेगी। बस यह सब सुनकर रूही दुखी हो जाती है।

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विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।