Mann Sundar: दादी ने नाहर और रूही के रिश्तों के बीच पैदा की दरार

Mann Sundar Full Episode 773: दादी ने नाहर और रूही के रिश्तों के बीच पैदा की दरार।
Mann Sundar: दादी ने नाहर और रूही के रिश्तों के बीच पैदा की दरार 40991

Mann Sundar Full Episode: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक मन सुंदर(Mann Sundar) में दिलचस्प ड्रामे की एंट्री हुई है। शो में, आप सभी देखेंगे कि नाहर अग्नि को एयरपोर्ट लेकर जाने के लिए निकलता है। लेकिन, दादी नाहर के पैरो में पत्थर रख देती हैं, जिससे नाहर गिर जाता है और नाहर के हाथ में मौजूद पासपोर्ट कीचड़ में गिर जाता है। बाद में, सभी लोग फैसला करते हैं, कि अग्नि अब कहीं नहीं जाएगी, क्योंकि उसका पासपोर्ट खराब हो गया है। दादी अपनी चाल के मुताबिक, अग्नि को फिर से घर में लेकर आती है। जबकि दूसरी ओर रूही नाहर का आभार व्यक्त करते हुए अपने रिश्तों को मजबूत करने का वादा करती है। वहीं अग्नि अपने कमरे में, हंगामा मचाती है और दादी पर भड़क जाती है। हालांकि, दादी उसे संभालती है और रूही- नाहर को अलग करने का मौका खोजती है। दोनों मिलकर योजना बनाते हैं, कि वे रूही- नाहर के बीच शक की दीवार खड़ी कर देंगे, जिससे उनके रिश्तों में खटास आ जाए। रात में, अग्नि के फोन पर गुरु मां का कॉल आया है, जो नीचे गिर जाता है। जैसे ही अग्नि फोन उठाने जाती हैं, वैसे ही नाहर भी फोन के पास पहुंच जाता है, मगर अग्नि उससे फोन छीनने में सफल होती है।

अगले दिन दादी भगवान के सामने अपना ड्रामा शुरू करती हैं, वह रूही के सामने कहती हैं, कि नाहर ने अग्नि को जानबूझकर रोकने के लिए यह सब किया। यह सब सुनकर रूही परेशान हो जाती है और वह नाहर के बारे में सोचने लगती है। वहीं दूसरी ओर अग्नि नाहर के ऑफिस के वक़्त फोन पर बात करने का नाटक करती हैं, कि उसका कैब बुक नहीं हो रहा है। उसकी योजना के तहत, नाहर उसे उसकी दोस्तों की पार्टी वाली जगह पर छोड़ने का फैसला करता है। इसके अलावा दादी आशी के हाथों से रूही को एक पेपर भेजवाती है, जिसमें अग्नि और नाहर के रेस्तरां का पता और टाइमिंग लिखा रहता है।

क्या दादी और अग्नि की चाल से रूही और नाहर के बीच पैदा होगी दूरियां? आपको क्या लगता है? हमें अपनी राय नीचे कमेंट सेक्शन में बताए और अधिक अपडेट पाने के लिए बने रहे हमारे साथ।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।