Mann Sundar: प्यार की बौछार में भींगे नाहर और रूही, कीचड़ में गिरी अग्नि

Mann Sundar Full Episode 738: प्यार की बौछार में भींगे नाहर और रूही।
Mann Sundar: प्यार की बौछार में भींगे नाहर और रूही, कीचड़ में गिरी अग्नि 39024

Mann Sundar Full Episode: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक मन सुंदर(Mann Sundar) में दिलचस्प ड्रामे की एंट्री हुई है। शो में आप सभी देखेंगे की रूही जूही के साथ बात करती रहती है, तभी जूही के हाथ आयुर्वेदिक इलाज का एक पर्ची लगता है, जिसे वह रूही को देती है। रूही इस आयुर्वेदिक इलाज से दादी का इलाज चालू करने का फैसला करती है। जबकि दूसरी ओर नाहर और रूही के बीच की खटास को देखकर अग्नि नाहर के लिए कॉफी लेकर आती है। नाहर कॉफी ले लेता है, जिसे देख कर रूही का मुंह उतर जाता है। इसके अलावा नाहर भी यही सोच रहा है, कि रूही ने अपने ज़िद के कारण उसके लिए कॉफी नहीं बनाया।

जल्दी ही रूही आयुर्वेदिक डॉक्टर से बात करती है और वह डॉक्टर रूही के घर दवाई भेजने का फैसला करती है। नाहर अपने काम से गार्डन में आता है, जिसे देखकर अग्नि भी गार्डन में आती है। अग्नि योजना बनाती है, कि वह पानी चालू करके नाहर पर गिर जाएगी। जैसे ही अग्नि पानी चालू करती है, वैसे ही रूही नाहर के पास आ जाती है। अग्नि का पैर फिसल जाता है और वह उसके हाथो से सीढ़ी रूही की तरफ गिरने लगता है। नाहर रूही को बचाने के लिए उसे अपनी ओर खींचता है, जिसके कारण वे दोनों एक दूसरे के ऊपर गिर जाते हैं। यह सब देखकर अग्नि चीड़ जाती है।

जल्दी ही दादी की दवाई आ जाती है, जिसे अवनी स्टोर रूम में रखती है। रूही दादी के लिए दवाई बनाना शुरू करती है, जबकि दूसरी ओर अग्नि फर्जी दवाई बनाती है, जिसे वह दादी कि दवाई के साथ बदल देगी। रूही दादी का उपचार शुरू करती है। अग्नि रूही को कमरे से निकालने के लिए बच्ची को रुलाती है, जिसकी आवाज सुनकर रूही बाहर आ जाती है। रूही के जाने के बाद अग्नि दवाई के कलश को बदल देती है, जिससे दादी को परेशानी होने लगती है। जल्दी ही अग्नि दादी के लिए जूस लेकर जाती है और वह देखती है, कि दादी कमरे में बेहोश हुई गिरी पड़ी है। अग्नि जोर से चिल्लाती है और सभी कमरे में आ जाते हैं।

क्या अग्नि के कारण सभी घर वालों के डांट की शिकार होगी रूही? आपको क्या लगता है? हमें अपनी राय नीचे कमेंट सेक्शन में बताए और अधिक अपडेट पाने के लिए बने रहे हमारे साथ।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।