Mann AtiSundar: सुजाता की चाल से राधिका से दूर हुआ दिव्यम

Mann AtiSundar Full Episode 187: सुजाता की चाल से राधिका से दूर हुआ दिव्यम।
Mann AtiSundar: सुजाता की चाल से राधिका से दूर हुआ दिव्यम 40655

Man AtiSundar Full Episode: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक मन अति सुंदर (Mann AtiSundar) में दिलचस्प ड्रामे की एंट्री हुई है। शो में आप सभी देखेंगे कि सुजाता लगातार राधिका को इस परीक्षा में फेल करवाने के पीछे पड़ी हुई है। वह नई- नई चाल के साथ राधिका का काम बिगाड़ रही हैं, मगर ईश्वर की कृपा से राधिका के सारे काम अच्छे से निपट जा रहे हैं। राधिका को बेहद कम राशन मिला है, जिसके कारण राधिका फैसला करती हैं, कि वह दो दिन बिना खाने के रहेंगी और सिर्फ पानी पर दिन निकाल ले जाएगी। दिव्यम और गोलू राधिका की मदद करने का फैसला करते हैं, जिसके बाद गोलू बाहर से खाना मंगवाता है। लेकिन, कली दिव्यम और गोलू के प्लान को खराब करने के लिए गोलू के हाथो से खाना छीन लेती है। इसके अलावा कली को सुजाता का पायल गार्डन में मिलता है। जबकि दूसरी ओर सुजाता इस बात से परेशान है, कि अगर उसका पायल किसी के हाथ लग गया, तो उसका सच सभी के सामने आ जाएगा। जल्दी ही कली से सुजाता का पायल कविता ले लेती है और वह सुजाता से इस बारे में बात करती है। लेकिन, सुजाता भी बेहद चालक है, जिसने इस चाल में कविता को भी शामिल कर लिया।

जबकि दूसरी ओर दिव्यम राधिका को खाना खाने के लिए कहता है, मगर वह बुआ के वादे के कारण खाना खाने से इंकार कर देती है। जल्दी ही मोहल्ले में भोलेनाथ का यात्रा नजर आता है, जिसे दौरान दिव्यम को प्रसाद मिलता है। राधिका इस प्रसाद को खाती है और अच्छा महसूस करती है। इसके अलावा बुआ राधिका को मसाला कूटने के लिए देती है। प्रभा बुआ से कहती हैं, कि राधिका की तबीयत बिगड़ी हुई है। लेकिन, बुआ तो भी राधिका से मसाला कूटने के लिए कहती है। वहीं दिव्यम को ऑफिस के काम से लखनऊ जाना है, मगर वह राधिका के कारण अपना काम गोलू को सौंप देता है। लेकिन, सुजाता नहीं चाहती है, कि दिव्यम यहां रहे। क्योंकि दिव्यम हर बार राधिका की मदद करता है, जिससे सुजाता की चाल नाकाम हो जाती है। इसके लिए इस बार सुजाता गोलू के कमरे में जाकर उसके फाइल को गायब कर देती हैं, जिसके बाद दिव्यम को ही लखनऊ जाना होगा। सुजाता के इस चाल के कारण दिव्यम और राधिका के बीच दूरियां आ गई है।

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विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।