Mann Atisundar Spoiler: राधिका के सामने आई सुजाता की हकीकत, दिव्यम ने बयां किया दर्द

Mann Atisundar Spoiler Ep 379: दंगल चैनल के लोकप्रिय धारावाहिक मन अतिसुंदर में गजब के ड्रामे की एंट्री हुई है, जहां आप सभी देखेंगे कि राधिका को सुजाता के बारे में सच्चाइयां पता चल गई है।
Mann Atisundar Spoiler: राधिका के सामने आई सुजाता की हकीकत, दिव्यम ने बयां किया दर्द 50774

Man Atisundar Today Episode: दंगल चैनल के लोकप्रिय धारावाहिक मन अतिसुंदर (Mann Atisundar) में गजब के ड्रामे की एंट्री हुई है। जहां आप सभी देखेंगे कि दिव्यम और राधिका घर के आउट हाउस में भांग के नशे में फंसे हुए है। दोनों में काफी प्यारी नोंक-झोंक होती है और फिर राधिका दिव्यम के खाने के लिए भेल भी बनाती है। खाने-पीने के बाद दोनों जन अपने रिश्तों पर चर्चा करते हैं और भावुक होते हैं। दिव्यम भी अपना दर्द बयां करते हुए कहता हैं, कि राधिका को उसे तलाक नहीं देना चाहिए था। राधिका यह सब सुनकर दंग हो जाती है और वह कहती हैं, कि तलाक के कागजात पर उसने दिव्यम के कहने पर साइन किया था। जबकि दूसरी ओर घर वाले अभी-भी दिव्यम और राधिका को खोजने में जुटे हुए हैं।

रानी इस बात से परेशान है, कि अगर दिव्यम और राधिका मिल गए, तो उनके बीच की सारी गलतफहमियां दूर हो जाएगी। रानी को घर के आउट हाउस से उनकी आवाज आती है और वह दरवाजा खोलने जाती हैं, तो वह कीचड़ में गिर जाती है। रानी फौरन घर में आकर सुजाता को सारी बातें बताती हैं और फिर सुजाता दिव्यम और राधिका को आउट हाउस से बाहर निकालती है। दिव्यम और राधिका की सारी गलतफहमियां ख़त्म होने वाली थी, मगर सुजाता ने सब कुछ बर्बाद कर दिया।

घर में आने के बाद दिव्यम की दादी सभी को सावन की तीज के लिए साड़ी देती हैं। दादी ने जग्गू की खुशी के लिए रानी के बजाय राधिका को तीज की साड़ी दी है, जिसके कारण रानी चिढ़ जाती है। वहीं राधिका को अब इस बात का पता चल गया है, कि दिव्यम और उसके रिश्ते में कुछ तो गलत हो रहा है। वह इस बारे में बात करने के लिए सुजाता के पास जाती है, मगर सुजाता उसे नहीं मिलती है। हालांकि, सुजाता के कमरे में उसे तलाक के पेपर्स मिलते हैं, जिसपर साफ-साफ दिव्यम के नकली साइन नजर आ रहे हैं।

क्या राधिका सुजाता की चाल बर्बाद कर पाएंगी? आपको क्या लगता है? हमें अपनी राय नीचे कमेंट में बताए और अधिक अपडेट पाने के लिए बने रहे हमारे साथ।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।