Man AtiSundar: कली के हाथ लगी दिव्यम की नकली कुंडली, राधिका हुई परेशान

Man AtiSundar Full Episode 139: कली के हाथ लगी दिव्यम की नकली कुंडली।
Man AtiSundar: कली के हाथ लगी दिव्यम की नकली कुंडली, राधिका हुई परेशान 37913

Man AtiSundar Full Episode: दंगल टीवी (Dangal Tv) के लोकप्रिय धारावाहिक मन अतिसुंदर(Man AtiSundar) में दिलचस्प ड्रामे की एंट्री हुई है। शो में आप सभी देखेंगे कि सभी परिवार वाले मिलकर दिव्यम की नकली कुंडली बनवाने का फैसला करते हैं, जिससे दिव्यम और कली के एक भी गुण ना मिले और उनकी शादी ना हो पाए। पंडित जी के पास नकली कुंडली लेकर जाने का काम गोलू को सौंपा जाता है। मगर जैसे ही गोलू पंडित जी के पास जाने लगता है, उसे बुआ रोक देती है। अब राधिका इस बात से परेशान है, कि इतने कम समय में दिव्यम की नकली कुंडली कैसे बनेगी? लेकिन, जल्दी ही दिव्यम की दादी यानी प्रभा आती है और उसे नए बहाने से बाहर भेजती है। जबकि कली की नजर अभी भी नकली कुंडली पर है, जिसे वह पंडित जी के पास नहीं पहुंचने देना चाहती।

जल्दी ही गोलू राधिका के फोन पर कॉल करता है और उससे कहता है, कि वह नकली कुंडली दूसरे के हाथ से घर पर भेजवा रहा है। मगर राधिका का फोन कली के पास रहता है, जिसके कारण वह पार्सल की बात सुन लेती और उस पार्सल को भी ले लेती है। किंतु, सुजाता आती है और वह राधिका को बताती हैं, कि पार्सल में नकली कुंडली है। लेकिन, कली वह पार्सल नहीं देती है और बातो ही बातो में वह पार्सल फट जाता है, जिसमें दिव्यम की दवाइयां रहती है। बाद में, पंडित जी घर पर आते हैं और साथ में छुपते हुए गोलू भी आ जाता है। गोलू नकली कुंडली के थैले को राधिका को देता है, जबकि राधिका और दिव्यम में पहले ही इस बात को लेकर बहस हो चुकी थी। राधिका का पीछा करने के लिए कली एक गोनी की मदद लेती है और उसमें छुप कर वह राधिका का पीछा करती है। राधिका कविता के हाथो में कुंडली का थैला देती है, जिसे कली चुपके से चुरा लेती है। किंतु, जैसे ही कली कमरे के बाहर निकली है, वैसे ही राधिका उससे टकरा जाती है और राधिका कली के हाथो में कुंडली देख लेती है।

अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या राधिका की योजना सफल होगी या उसके आंखो के सामने हो जाएगी दिव्यम की शादी? आपको क्या लगता है? हमें अपनी राय नीचे कमेंट सेक्शन में बताए गए हैं और अधिक अपडेट पाने के लिए बने रहे हमारे साथ।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।