मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान आज एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सबसे बड़े नामों में से एक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी बेहतरीन एक्टिंग और यादगार फिल्मों के लिए ग्लोबल लेवल पर तारीफें हासिल की हैं, जिनका दर्शकों पर अलग तरह का इंपैक्ट रहा है। उनके शानदार करियर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक ‘सरफ़रोश’ है, जिसमें उन्होंने अब तक के अपने सबसे गंभीर किरदारों में से एक को निभाया है। जैसा कि आज जॉन मैथ्यू मैथन द्वारा डायरेक्ट की गई यह फिल्म आज अपनी 25वीं क्निवर्सरी सेलिब्रेट कर रही है, ऐसे में आइए फिल्म के पांच यादगार पलों पर नजर डालते हैं, जिन्होंने दर्शकों पर अपनी कभी न मिटने वाली छाप छोड़ी है।
आमिर खान का पुलिस का किरदार:
एसीपी अजय सिंह राठौड़ के रूप में आमिर खान की भूमिका फिल्म का सबसे बेहतरीन हिस्सा है। ईमानदार पुलिस अधिकारी के रूप में उनकी गंभीर और गहन एक्टिंग वाकई शानदार है। आमिर खान ने इतना बेहतरीन काम किया है कि उनके अभिनय को भूलना मुश्किल है।
लव स्टोरी:
आतंकवाद और तस्करी जैसे गंभीर विषयों पर आधारित कई पुलिस फिल्मों में, लव स्टोरी अक्सर ऐसा महसूस कराती है कि यह सिर्फ़ जगह भरने के लिए है या बाद में जोड़ी गई हैं। लेकिन सरफ़रोश में ऐसा नहीं है। फिल्म में आमिर खान और सोनाली बेंद्रे के बीच रोमांस को 90 के दशक की कई दूसरी फिल्मों की तरह किनारे नहीं किया गया। इसके बजाय, इसे अच्छी तरह से किया गया और इंटेंस पुलिस इन्वेस्टिगेशन और एक्शन के बीच में इसे किसी खूबसूरत स्पर्श की तरह पेश किया गया।
कास्ट और उनकी परफॉर्मेस:
फिल्म में एक अनोखी कास्ट थी, लेकिन हर एक्टर ने कमाल का काम किया। आमिर खान की एक्टिंग वाकई लाजवाब थी और इसने उनके टेलेंट को दर्शाया था। सरफरोश ने एक एक्टर के रूप में उनके बारे में हमारी धारणा बदल दी थी, जिसमें उनकी वर्सेटिलिटी को शानदार तरीके से दिखाया गया था। सोनाली बेंद्रे ने सीमा का रोल बिल्कुल परफेक्ट किया था, और नसीरुद्दीन शाह का गुलफाम हसन भी उनके सबसे पसंदीदा किरदारों में से एक है, यह कहना बड़ा स्टेटमेंट है। मुकेश ऋषि की एक्टिंग भी फिल्म में अच्छी और सभी को सरप्राइस करने वाली थी। क्योंकि वे ज्यादातर निगेटिव किरदारों के लिए जाने जाते थे, लेकिन इसमें उनका किरदार अलग था। आकाश खुराना, वल्लभ व्यास, अखिलेन्द्र मिश्रा, प्रदीप रावत, सलीम शाह और राजेश जोशी जैसे एक्टर्स की टीम भले ही बड़े नाम नहीं थे, लेकिन उनमें से हर एक ने अपने-अपने लेवल पर यादगार एक्टिंग की थी।
म्यूजिक:
इस फिल्म ने जगजीत सिंह का ‘होशवालों को खबर क्या’ के साथ हमें उस पीढ़ी के सबसे मशहूर लव सॉन्ग में से एक दिया। भले ही यह गाना फिल्म का सबसे मशहूर गाना है, लेकिन म्यूजिक डायरेक्टर जोड़ी जतिन-ललित ने हमें सरफरोश के रूप में एक बहुत ही वर्सेटाइल एल्बम दिया।’जो हाल दिल का’, ‘इस दीवाने लड़के को’ और ‘मैं तेरी दुल्हन बन जाऊं’ जैसे गानों ने फिल्म के साउंडट्रैक को बहुत रंगीन बनाया।
सादगी और भावनात्मक जुड़ाव:
सरफ़रोश ने जैसे सीमा पार से आतंकवाद और तस्करी, जैसे गंभीर मसलों को बहुत रियलिस्टिक और रियल अंदाज में दिखाया था, लेकिन इन सब के बावजूद कभी भी इसने डॉक्यूमेंट्री जैसा फील नहीं दिया। फिल्म में असलियत और सादगी का बहुत ही खूबसूरत बैलेंस है, जो कंटेंट को समझने और पसंद करने के लिए नहीं, बल्कि मस्ती से भरपूर बनाता है। फिल्म ने जहां जरूरत थी, वहां इमोशंस और जहां जरूरत थी वहां सादगी के साथ रियलिस्टिक टच देते हुए कहानी को क्रिस्प बनाया।