इंडियन सिनेमा का एक बड़ा नाम और मशहूर फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली, जो अपनी ग्रैंड और विजुअली खूबसूरत फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, ने न केवल भारत में दर्शकों को दीवाना किया है, बल्कि ग्लोबल मंच पर भी अपनी एक खास पहचान बनाई हैं। ऐसे में जो चीज़ उन्हें अलग करती है, वह न केवल उनकी अद्भुत निर्देशन शक्ती है, बल्कि एक संगीतकार के रूप में उनका असाधारण टैलेंट भी है, जो उन्हें उनके सिनेमैटिक विजन और चार्ट-टॉपिंग म्यूजिक दोनों के लिए दुनिया भर में पसंद किए जाने वाले बहुत कम निर्देशकों में से एक बनाता है।
संजय लीला भंसाली का सिनेमाई सफर बेहद शानदार हैं। वह भव्यता के उस्ताद हैं, जो बेहतरीन और लार्जर देन लाइफ दुनिया गढ़ने में माहिर हैं, जो ऑडियंस को भावनाओं की टेपेस्ट्री में डुबो देता है। लुभावने दृश्यों के साथ पेचीदा कहानी कहने की उनकी क्षमता कमाल हैं, जिसने दुनिया भर में फिल्म प्रेमियों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। चाहे वह आइकोनिक ‘देवदास’ हो, या ‘गोलियों की रासलीला राम-लीला’ हो, या फिर दीवाना कर देने वाली ‘पद्मावत’ ही क्यों न हो, भंसाली जी की फिल्में उनके असाधारण स्टोरीटेलिंग स्किल्स का सबूत पेश करती हैं।
फिर भी, जो बात असल में भंसाली को उनके कंटेंपरीजो से अलग करती है, वह है उनकी संगीत में कुशलता। वह एक ऐसे निर्देशक हैं जो कुशलता के साथ कई काम करते हैं, अक्सर अपनी फिल्मों के लिए संगीत को कंपोज और अरेंज करते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा की उनका संगीत सीमाओं से परे है और दुनिया भर के दर्शकों के बीच गूंजता और बेहद पसंद किया जाता है। आत्मा और दिल को छू लेने वाली धुनें, मेलोडीज वाले गाने और उनके साउंडट्रैक श्रोताओं के साथ गहरा संबंध बनाते हैं। चाहे वह ‘गोलियों की रासलीला राम-लीला’ का दिल छू लेने वाला गाना ‘लाल इश्क’ हो या ‘बाजीराव मस्तानी’ का जबरदस्त सॉन्ग ‘आयत’, भंसाली का संगीत किसी के दिल की गहराइयों को छूने की ताकत रखता है।
यह ध्यान देने योग्य है कि पूर्णता के प्रति भंसाली की कमिटमेंट संगीत के साथ उनकी फिल्मों के सभी पहलुओं तक फैली हुई है, जो उन्हें भारतीय सिनेमा का सच्चा उत्तराधिकारी बनाती है। उन्होंने अपने संगीतकारों, गीतकारों और गायकों में सबसे बेहतर लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है और एक हार्मोनियस सिम्फनी बनाई है जो दर्शकों और सुनने वाले की रूह के साथ गूंजती है।