एक्शन फिल्मों के उस्ताद विपुल अमृतलाल शाह, इंडस्ट्री के ऐसे दिग्गज हैं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में, जहां बहुमुखी प्रतिभा का अक्सर जश्न मनाया जाता है, एक विशेष शैली में खासियत हासिल की है और अपने नजरिए और दृढ़ता से इसे फिर से परिभाषित किया है। और आज जैसा कि उनकी एक्शन से भरपूर ब्लॉकबस्टर, ‘फोर्स’ की 12वीं एनीवर्सरी हैं, यह इस बात को मनाने का एक परफेक्ट पल है कि कैसे शाह ने एक एक्शन निर्देशक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की और तब से दर्शकों को धमाकेदार अनुभव देने में सबसे आगे रहे है।
‘फोर्स’ के आने से पहले, विपुल अमृतलाल शाह मुख्य रूप से मिस्ट्री, थ्रिलर और ह्मूमर जैसी शैलियों में अपने काम के लिए जाने जाते थे। इसमें नमस्ते लंदन’ और ‘सिंह इज़ किंग’ जैसी हिट फ़िल्में शामिल थीं, जिन्होंने स्टोरी टेलिंग की उनकी प्रतिभा और हंसी और साज़िश की डोज के साथ दर्शकों को एंटरटेन करने का उनका दम प्रदर्शित किया। हालांकि, ‘फोर्स’ इस सबसे अलग थी और उनके करियर में एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुई।
जी हां, क्योंकि 2011 में रिलीज हुई ‘फोर्स’ सिर्फ एक और एक्शन फिल्म नहीं थी, बल्कि इस फिल्म का साथ विपुल शाह ने भारतीय सिनेमा में एक्शन की शैली को फिर से परिभाषित किया था। फ़ोर्स में जॉन अब्राहम ने एसीपी यशवर्धन की भूमिका निभाई, एक ऐसा किरदार जो धैर्य, दृढ़ संकल्प और ताकत का प्रतीक था। निशिकांत कामत का निर्देशन और कहानी कहने का कौशल चमक गया क्योंकि उन्होंने कुशलतापूर्वक हाई-स्टेक एक्शन, इंटेंस इमोशन और विद्युत जामवाल द्वारा अपनी पहली भूमिका में निभाए गए एक पावरफुल कॉम्पिटीटर के इर्द-गिर्द एक दिलचस्प कहानी तैयार की। फिल्म में मुख्य अभिनेत्री जेनेलिया डिसूजा थीं।
‘फोर्स’ विपुल अमृतलाल शाह के लिए एक गेम-चेंजर थी, जिसने उनकी ट्रेडमार्क शैली बनने के लिए मंच तैयार किया। फिल्म की सफलता ने न केवल एक एक्शन निर्देशक के रूप में उनकी पोजीशन को मजबूत किया, बल्कि बॉलीवुड में इंटेंस और गंभीर कहानियों के लिए रास्ता भी प्रशस्त किया। इसने दिल दहला देने वाले एक्शन सीक्वेंस को मिनिंगफुल स्टोरीटेलिंग की क्षमता के साथ पेश किया, जो उस समय भारतीय सिनेमा में एक रेयर कॉम्बिनेशन था।
‘फोर्स’ की सफलता के बाद उन्होंने विद्युत जामवाल स्टारर ‘कमांडो’ सीरीज के साथ अपनी एक्शन से भरपूर यात्रा जारी रखी। जो एक आशाजनक एक्शन फिल्म फ्रेंचाइजी के रूप में शुरू हुई और कल्ट बन गई। ‘कमांडो’ न केवल सिनेमाघरों में दर्शकों के बीच गूंजा, बल्कि ओटीटी प्लेटफार्मों पर एक डेडिकेटेड फैन बेन भी मिला, जहां इसके जोरदार एक्शन सीक्वेंस को बार-बार एंजॉय किया गया।
एक्शन फिल्म मेकिंग की कला को बेहतर बनाने के लिए विपुल का समर्पण ‘कमांडो’ सीरीज के हर फ्रेम में साफ नजर आया, जो बाद में ओटीटी स्पेस में एक्सपैंड हुआ। उन्होंने प्रामाणिकता और सटीकता का एक ऐसा स्तर पेश किया जिसने भारतीय सिनेमा में एक्शन के लिए नए बेंचमार्क स्थापित किए। हाई-ऑक्टेन कॉम्बैट सीन्स से लेकर विद्युत जामवाल द्वारा किए गए बेहतरीन स्टंट्स तक, ‘कमांडो’ सीरीज ने दर्शकों को सरप्राइज कर दिया है।
विपुल अमृतलाल शाह का एक बहुमुखी फिल्ममेकर से एक्शन सिनेमा के मैस्ट्रो बनने तक की यात्रा उनके जुनून और दृढ़ संकल्प का सबूत है। ‘फोर्स’ के आज 12 साल पूरे होने के साथ, यह साफ है कि उनकी एक्सीलेंस की निरंतर खोज ने उन्हें इंडस्ट्री में एक पावरफुल फोर्स बना दिया है। एक्शन फिल्ममेकिंग की सीमाओं को लगातार आगे बढ़ाने और दिल को छू लेने वाली कहानियों से दर्शकों को दीवाना करने की उनकी क्षमता एक रेयर और उल्लेखनीय उपलब्धि है।
जैसा कि दर्शक विपुल अमृतलाल शाह से और अधिक एक्शन से भरपूर रोमांच की उम्मीद कर रहे हैं, एक बात तो तय है कि एक्शन फिल्मों के मास्टर फिल्ममेकर की रफ्तार धीमी नहीं होने वाली हैं। परफेक्शन और इनोवेशन की उनकी निरंतर खोज हमें आने वाले सालों में भी भरपूर एंटरटेन करने का वादा करती है।