‘द केरल स्टोरी’ को अलायंस ऑफ फॉर्मर मुस्लिम्स ने किया अप्रूव, खुलकर की फिल्म की शिफारिश

हाल ही में अलायंस ऑफ फॉर्मर मुस्लिम्स जोकि एक इंटरनेशनल नॉट-फॉर-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है, जो इस्लाम छोड़ने वालों को मदद करता है, ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए एक पोस्ट किया जिसमें लिखा था, “द केरल स्टोरी उन महिलाओं के दर्द के बारे में है, जिन्होंने आईएसआईएस आतंकवादियों से शादी की है।
'द केरल स्टोरी' को अलायंस ऑफ फॉर्मर मुस्लिम्स ने किया अप्रूव, खुलकर की फिल्म की शिफारिश 15169

अदा शर्मा स्टारर विपुल अमृतलाल शाह की ‘द केरल स्टोरी’ इस समय बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन कर रही है और फिलहाल फिल्म की रफ्तार धीमी होती भी नहीं दिख रही है। हालांकि दुनिया भर में फिल्म की भारी सफलता के बावजूद, कुछ एजेंसियां फिल्म के प्लॉट और कहानी से सहमत नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ कई लोगों और एजेंसियों ने बार-बार फिल्म के सोपर्ट में बात की है। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ‘द केरल स्टोरी’ उन कुछ फिल्मों में से एक है, जो कम बजट में बनाई गई है और फिल्म को महामारी के बाद के नतीजों के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर उल्लेखनीय सफलता मिली है।

हाल ही में अलायंस ऑफ फॉर्मर मुस्लिम्स जोकि एक इंटरनेशनल नॉट-फॉर-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है, जो इस्लाम छोड़ने वालों को मदद करता है, ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए एक पोस्ट किया जिसमें लिखा था, “द केरल स्टोरी उन महिलाओं के दर्द के बारे में है, जिन्होंने आईएसआईएस आतंकवादियों से शादी की है। मुसलमान जो दावा करते हैं कि यह फिल्म “एंटी-मुस्लिम प्रोपेगेंडा” है, स्पष्ट रूप से आईएसआईएस के साथ पहचान करते हैं। इन फ़ासीवादियों को यह तय करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि हम क्या देख या सुन सकते हैं। वी हाईली रिकमेंड #TheKeralaStory”।

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द केरल स्टोरी का निर्माण, विकास और डिस्ट्रीब्यूशन सनशाइन पिक्चर्स द्वारा किया गया है, जिसके मालिक विपुल अमृतलाल शाह हैं। फिल्म में लीड रोल में नजर आ रहीं अदा शर्मा के साथ योगिता बिहानी, सोनिया बलानी और सिद्धि इडनानी की भी अहम भूमिका हैं। द केरल स्टोरी को सनशाइन पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बैंकरोल किया गया है, जिसकी स्थापना विपुल अमृतलाल शाह ने की हैं, जो फिल्म के निर्माता, क्रिएटिव डायरेक्टर और सह-लेखक हैं। इस फिल्म का निर्देशन सुदीप्तो सेन ने किया हैं और ये आशिन ए. शाह द्वारा सह-निर्मित।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।