शाहिद कपूर ने बॉलीवुड पर दिया बड़ा बयान, जानने के लिए पढ़ें

Shahid Kapoor On Bollywood: फ़र्ज़ी के साथ ओटीटी पर डेब्यू करने वाले शाहिद कपूर ने फिल्म इंडस्ट्री के बारे में कही यह बड़ी बात
शाहिद कपूर ने बॉलीवुड पर दिया बड़ा बयान, जानने के लिए पढ़ें 2445

Shahid Kapoor On Bollywood: बॉलीवुड इंडस्ट्री इस वक़्त अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ ज्यादा कमाई नहीं कर पा रहीं है। इस बीच पठान आती है जिसे दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है। लेकिन इस अव्यवस्था के बीच आप खुद को कहाँ देखते हैं?

अव्यवस्था शब्द का प्रोयोग इसलिए जरूरी है क्योंकि इंडस्ट्री में कुछ खास बदलाव नहीं दिख रहा है। फिल्में लोगो से जुड़ने में कामयाब नहीं हो पा रहीं हैं। सब कुछ बिखरता हुआ नज़र आ रहा है। जब ऐसा हो तो एक चीज जो सबसे ज्यादा जरूरी होती है, वो है अपने विचारों के साथ खड़ा रहना और यह ही बदलाव का कारण बनती है। जैसे की फ़र्ज़ी

इंडस्ट्री में बन रही फीचर फिल्मों के बारे में आप क्या सोचते हैं?

मुझे लगता है की शायद हमें और बेहतर फिल्में बनानी चाहिए। और मुझे लगता है की सबको यह बात मालूम भी है। हमारे लिए सबसे जरूरी है की दर्शकों को क्या लगता है। लेकिन हम यह भी नही भूल सकते की हम कौन हैं और हम क्या हैं। इसीलिए मैं समय के साथ रहने में विश्वास करता हूँ और उसी पर पुरा ध्यान देता हूँ। जैसा की आपने कहा, तथाकथित अव्यवस्था। लेकिन अच्छे दिन और बुरे दिन दोनों आते जाते रहते हैं।

फिल्म इंडस्ट्री में अव्यवस्था के अलावा काफी घबड़ाहट भी है?

मुझे समझ नहीं आ रहा है की सबलोग इतना घबरा क्यों रहे हैं। दस साल के अच्छे समय पर किसी को हैरानी नहीं हुई। अगर 2 साल खराब भी गऐं तो क्या यह सामान्य बात नही है। मेरा मतलब, यह एक सामान्य जीवन चक्र है।

इंडस्ट्री में बीस साल के अनुभव के बाद आप मुझे बताएं की इंडस्ट्री में क्या कोई स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है?

खैर, स्वस्थ खाना होता है। जो खुद को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है। लेकिन मुझे लगता है कि प्रतिस्पर्धा…। प्रतिस्पर्धा क्या है? एक दिन यह एक व्यक्ति का नाम होता है और फिर दूसरे दिन यह किसी दूसरे व्यक्ति का नाम होता है। यह मौसम की तरह बदलता रहता है। लेकिन बीस साल तक काम करने के बाद, आपको एहसास होता है कि आपको खुद पर ध्यान देना जरूरी है। एक समय और उम्र होती है जब कोई, कुछ देखता है और सोचता है कि इसे उसने किया तो मैं भी करूंगा। लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं अब उस जगह पर हूं।

आप अपनी जगह पर खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं?

मैं अपने सफर पर बहुत ध्यान केंद्रित करता हूं और मैं जो कर रहा हूं उसके लिए बहुत समर्पित हूं। दरअसल मुझे अलग-अलग लोगों का काम देखने बहुत पसंद है क्योंकि यह आपको एक बेहतर इंसान बनता है, है ना? आप किसी को देखते हैं और आपको लगता है की, यार, यह बहुत अच्छा था, वह बहुत अच्छा था। और आप खुद बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। खैर यह काफी सकारात्मक बात है और मैं इसको हमेशा सकारात्मक तरीके से देखता हूं।

तो आपको अपनी सबसे अच्छी या सबसे बुरी फिल्म कौन सी लगती है।

नहीं, मैं ऐसा बिल्कुल नहीं करूंगा। मुझे मेरे सारे काम पसन्द है, हाँ मैं कुछ फिल्मों को भूलना चाहूंगा, लेकिन क्या मुझे उनका नाम बताना चाहिए? नहीं, यह अच्छा नहीं लगेगा।

क्या हम आपको निर्देशक के रूप में देखेंगे?

हाहा! एक निर्देशक के रूप में? बढ़िया है। मैं एक अभिनेता के रूप में बहुत खुश हूं, कम से कम अभी के लिए।

सुभाष के झा: सुभाष के. झा पटना, बिहार से रिश्ता रखने वाले एक अनुभवी भारतीय फिल्म समीक्षक और पत्रकार हैं। वह वर्तमान में टीवी चैनलों जी न्यूज और न्यूज 18 इंडिया के अलावा प्रमुख दैनिक द टाइम्स ऑफ इंडिया, फ़र्स्टपोस्ट, डेक्कन क्रॉनिकल और डीएनए न्यूज़ के साथ फिल्म समीक्षक हैं।