अरशद वारसी ने बॉलीवुड में मौजूद असमानताओं पर की चर्चा, नेपोटिज्म पर कहीं ये बड़ी बात

Arshad Warsi talks about disparities: भाई-भतीजावाद के बारे में अरशद वारसी ने की बात।
अरशद वारसी ने बॉलीवुड में मौजूद असमानताओं पर की चर्चा, नेपोटिज्म पर कहीं ये बड़ी बात 20921

Arshad Warsi talks about disparities: बॉलीवुड में अपने उल्लेखनीय अभिनय के लिए पहचाने जाने वाले अरशद वारसी (Arshad Warsi) ने उद्योग के भीतर भाई-भतीजावाद और पक्षपात के प्रचलित मुद्दे पर खुलकर चर्चा की है। गौरतलब हैं, कि अभिनेता की असुर 2 को दर्शकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और जिसपर उन्होंने कई जानकारियां साझा की। इसके विपरीत, अभिनेता ने दूसरों के सामने आने वाली चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों पर भी चर्चा की, जहां बॉक्स-ऑफिस पर एक भी निराशा उनके करियर के लिए हानिकारक परिणाम हो सकती है। उनकी टिप्पणियाँ बॉलीवुड फिल्म बिरादरी के भीतर मौजूद असमानताओं और नेपोटिज्म की ओर ध्यान दिलाती हैं, और अधिक समान अवसर की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करती है।

अरशद वारसी ने भाई-भतीजावाद पर की खुलकर चर्चा

हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए अरशद वारसी ने कहा, ”यह दुखद बात है लेकिन आप क्या कर सकते हैं? अभिनेताओं का एक निश्चित वर्ग है, जो अन्य वर्ग की तुलना में थोड़ा अधिक विशेषाधिकार प्राप्त है। जी हां, मैं फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े बच्चों की बात कर रहा हूं। फिर ऐसे लोग भी हैं जो इंडस्ट्री से जुड़े नहीं हैं. मैं शिकायत नहीं कर सकता, फिल्म उद्योग ने मुझे बहुत कुछ दिया है, और मुझे यह पसंद है और मैं उन्हें हमेशा धन्यवाद देता हूं। मैं सचमुच, हर सुबह, जॉय ऑगस्टीन, जया बच्चन, अमिताभ बच्चन को धन्यवाद देता हूं, उनकी वजह से मुझे वह मिला है जो मुझे मिला है। इसलिए, उद्योग के खिलाफ कुछ भी नहीं है लेकिन यह आदर्श है।”

उन्होंने अभिनेताओं को कई मौके मिलने पर कहा, “मैं शिकायत भी नहीं कर रहा हूं, मैं इसे स्वीकार करता हूं। दुखद बात यह है कि मैं शायद अपने बच्चों के साथ भी वही चीजें करूंगा। लेकिन हाँ, यह एक कठिन बात है. आपके पास अभिनेताओं का एक वर्ग है जिन्हें हिट देने के लिए कई मौके मिलेंगे और फिर आपके पास एक और वर्ग है जिन्हें वह नहीं मिलता है। आप एक फ्लॉप देते हैं, आप बर्बाद हो जाते हैं; आपको वापस आने के लिए फिर से पूरा संघर्ष करना होगा। तो यह एक दुखद हिस्सा है।”

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।