The Vaccine War Review; रीयल सुपर हीरोज की अनदेखी कहानी

The Vaccine War Review; पढ़िए, विवेक रंजन अग्निहोत्री की 'द वैक्सीन वॉर' की समीक्षा।
The Vaccine War Review; रीयल सुपर हीरोज की अनदेखी कहानी 30419

The Vaccine War Review; फिल्म: द वैक्सीन वॉर
रेटिंग: 4 स्टार

कलाकार : नाना पाटेकर, पल्लवी जोशी, निवेदिता भट्टाचार्या, गिरीजा ओक

निर्देशक और लेखक : विवेक रंजन अग्निहोत्री

चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस को मात देने वाली वैक्सीन पर आधारित फिल्म ‘द वैक्सीन वॉर’ (The Vaccine War) उन योद्धाओं के कहानी के इर्द-गिर्द घूमती हैं, जिन्होंने कड़ी मेहनत करते हुए देश के सभी नागरिकों को कोरोना वायरस से सुरक्षा प्रदान किया है। फिल्म में 2020 में शुरू हुई कोरोना महामारी को दर्शाया गया हैं, जिसमें बड़ी तबाही के बीच देश की सबसे बड़ी संस्थान ICMR के वैज्ञानिक सर्तक हो जाते है और वैक्सिन की खोज में जुट जाते है। कई प्रतिभाओं के मालिक विवेक अग्निहोत्री ने फिल्म के निर्देशन के साथ-साथ लेखन का कार्यभार भी संभाला है।

विवेक ने कश्मीर फाइल्स के बाद फिर से एक बड़ी दस्तक दी हैं, जिसे दर्शकों द्वारा खूब सराहा जा रहा है। सिनेमाघरों में मची भीड़ ने फिल्म के लिए अपने प्यार को साबित किया है। इसके अलावा हमने निर्देशक से जो उम्मीदें की थी, उससे कहीं ज्यादा बेहतर फिल्म बनकर तैयार हुई है। फिल्म ने बेहतरीन ढंग से हमारे देश के रियल हीरो (वैज्ञानिकों) को प्रदर्शित किया हैं, जो दुनिया भर के सभी देश के मुकाबले सबसे पहले महामारी पर काबू पाने में सफल होते हैं और उसकी सटीक वैक्सीन को खोजने में सफल रहते है।

फिल्म ने महिला सशक्तिकरण पर काफी जोर दिया है और उनके सराहनीय सफलताओ को भी दर्शाया हैं। महिला वैज्ञानिक के जीवन पर ज्यादा दोर देते हुए दिखाया गया हैं,कि पारिवारिक जीवन के बावजूद भी उन्होंने देश के लिए बड़ा योगदान दिया है। हालांकि, नाना पाटेकर, पल्लवी जोशी, निवेदिता भट्टाचार्या, गिरीजा ओक ने बेहद शानदार किरदार निभाया हैं, जिसमें नाना पाटेकर का कड़क रवैया वाला किरदार दर्शकों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है। फिल्म में उन्होंने ICMR के डायरेक्टर जनरल का किरदार बखूबी निभाया है। इसके अलावा फिल्म में केबिनेट सेकेट्री रूप में दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर भी नज़र आते है। हालांकि, वह बस कुछ पल भर के लिए आते है।

पल्लवी जोशी और एम बुद्धा द्वारा निर्मित यह फिल्म हिंदी के साथ-साथ तमिल और तेलुगू भाषाओं के दर्शकों को भी प्रभावित करने के लिए तैयार है। फिल्म को बेहतरीन ढंग से समझने के लिए अपने नजदीकी सिनेमाघरों में दस्तक दे।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।