Munjya Review: हॉरर और कॉमेडी का डबल डोज

Munjya Review: शरवरी वाघ और अभय वर्मा की मुंजा की समीक्षा पढ़िए।
Munjya Review: हॉरर और कॉमेडी का डबल डोज 48123

Munjya Review: शरवरी वाघ ने दर्शको को कई दफा लुभाया है, मगर उनकी नई फिल्म दर्शको को हंसी के साथ डराती भी है। शरवरी वाघ और अभय वर्मा की मुंजा आज सिनेमाघरों में रिलीज हुई है, जिसे स्त्री फिल्म के निर्माताओं ने तैयार किया है। मुझे यह फिल्म स्त्री जितनी दमदार तो नहीं लगी, मगर जनता को डराने की कोशिश करने वाली इस फिल्म को पैसा वसूल कहा जा सकता है। निर्माताओं ने हॉरर और सांस्कृतिक गहराई के तत्वों को मिलाकर एक ऐसी कहानी को जन्म दिया है, जिसे देखकर कोई-भी हंसते हुए घबरा सकता है। निरेन भट्ट ने अपने कलम की शक्तियों से योगेश चांडेकर द्वारा परिकल्पित कहानी को बेहतरीन बनाया है।फिल्म ब्रह्मराक्षस की कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो दर्शको को पर्दे से बांधे रखती है।

फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी कोंकण से शुरू होती हैं, जहां साल 1952 में एक युवा ब्राह्मण लड़का मुन्नी नाम की लड़की के संग शादी करने की कोशिश करता है। हालांकि, वह उसे पाने के लिए काले जादू का रास्ता अपनाता है, जहां दुर्घटनावश उसकी मौत हो जाती है। अब दिलचस्प बात यह है, कि उसकी मौत के कुछ दिनों पहले ही उसका मुंडन हुआ था और गांव वालो का मानना है, कि मुंडन के 10 दिन के भीतर हुई मौत के बाद ब्रह्मराक्षस का जन्म होता है, जिसे मुंजा कहते है। अब यह मुंजा अपनी मुक्ति के लिए भटकता है और वह पुणे में रहने वाले बिट्टू (अभय वर्मा) को अपना हथियार बनाता है। जबकि बिट्टू बेला (शरवरी वाघ) से प्यार करता है, मगर मुंजा बेला की बलि से खुद को आजाद करने की चाह रखता है।

कलाकारों का अभिनय जादू

आदित्य सरपोतदार के निर्देशन में बनी फिल्म के सारे कलाकार लाजवाब है, जिन्होंने अपने किरदार के साथ पूरी ईमानदारी की है। अभय वर्मा और शरवरी वाघ की जोड़ी बेहद प्यारी है और इससे भी प्यारी इनकी अभिनय शक्ति है, जो दर्शको को लुभाने में सक्षम है। मोना सिंह ने पंजाबी कुड़ी के किरदार को बखूभी निभाया है, जो काबिले तारीफ है। इसके अलावा फिल्म के अन्य किरदार भी अपनी जगह पर बिल्कुल सही और सटीक है।

फिल्म रेटिंग

शरवरी वाघ और अभय वर्मा हॉरर और कॉमेडी का डबल डोज है, जिसे देखने में काफी मजा आता है। फिल्म को मनोरंजन न्यूज द्वारा 4 स्टार मिलते हैं।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।