Gadar 2 Review: तारा-सकीना की जोड़ी ने फिर जीता दिल, सिनेमाघरों में गुंजी तालियां

Gadar 2 Review: सनी देओल और अमीषा पटेल की गदर 2 की रिव्यू पढ़िए।
Gadar 2 Review: तारा-सकीना की जोड़ी ने फिर जीता दिल, सिनेमाघरों में गुंजी तालियां 24445

Gadar 2 Review: वर्ष 2001 में अनिल शर्मा के निर्देशन में बनी गदर: एक प्रेम कथा ने दर्शकों को मनोरंजीत करने में अपार सफलताएं प्राप्त की थी और बिल्कुल उसी अंदाज में निर्देशक ने फिल्म की दूसरी किश्त को दर्शकों के बीच पेश की है। गौरतलब हैं, कि पहले किश्त में तारा सिंह (सनी देओल) बंटवारे के हिस्से से जुझते हुए पाकिस्तानी लड़की सकीना (अमीषा पटेल) को बचाते हैं और ब्याह रचाते हैं। दोनों को एक बेटा होता हैं, जिसका नाम जीते रहता है। दुसरी किश्त में जीते के किरदार में प्रतिभाशाली अभिनेता उत्कर्ष शर्मा नजर आए हैं, जो अभिनय को अपनी दुनिया मानता है। हालांकि, जीते के पिता यानी तारा सिंह की इच्छा हैं, कि वह पढ़ाई-करके फौज में जाएं और देश की सुरक्षा में अपना योगदान दे।

जैसा कि हम सभी ने गदर के पहले पार्ट में देखा था,कि सकीना के पिता यानी असरफ अली (दिवंगत अमरीश पुरी) सकीना ओर तारा सिंह को भारत लौटने में मदद करते है। युद्ध के कुछ दिन बाद मेजर हामिद इकबाल पाकिस्तान सरकार से गुहार लगाकर असरफ अली को सजा ए मौत की मांग करता है और असरफ अली को फांसी दे दी जाती है। मेजर हामिद इकबाल के ज़हन में सिर्फ गजवा ए हिंद रहता है। क्योंकि, उसका परिवार दिल्ली में बंटवारे के हिंसे का शिकार हो जाता है।

मेजर हामिद इकबाल के दिल में भारतीयों के लिए सिर्फ और सिर्फ नफरत रहती है और वह अपने परिवार को खोने के बाद बदले की आग में जलता है। अभिनेता मनीष वाधवा ने बखूबी मेजर हामिद इकबाल के रूप को एक अनोखा चहरा दिया है। इकबाल के अचानक युद्ध से भारत में खलबली मच जाती है।‌ हालांकि, भारतीय सेना के समर्थन में तारा सिंह उतरे हैं और बेहद निराले अंदाज से उन्हें पछाड़ते है। पाकिस्तानी आर्मी बेहद चालाकी से तारा सिंह और कई भारतीय सैनिकों को धोखे से पकड़ लेते है। उन सभी को कोटा लखपत जेल में रखा जाता है।

अब जिते अपने बेटे होने का फर्ज निभाने पाकिस्तान जाता है और अपने पिता को खोजने की कोशिश करता हैं। जिते अपना नाम और पहचान बदलकर पाकिस्तान में अपने पिता की खोजबीन में जुटता है। वह वहां खाना बनाने का काम करता है और मुस्कान नाम की लड़की को उससे प्यार हो जाता है। ईद के मौके पर जीते को कोटा लखपत जेल जाने का मौका मिलता है। हालांकि, एक अप्रत्याशित मोड़ आता है और उसे पता चलता हैं, कि उसके पिता पाकिस्तान-ईरान के चंगुल में कभी फंसे ही नहीं थे। वहीं दूसरी ओर तारा सिंह अपने घर लौटा बताते है, कि वह युद्ध के दौरान नहर में गिर जाते हैं और बहते-बहते देश में आ जाते है।

अब बारी है तारा सिंह की जो अपने बेटे को लेने पाकिस्तान जाते हैं और बेहद दमदार अंदाज में भिड़ते है। फिल्म का लुत्फ बेहतरीन तरीके से उठाने के लिए अपने नजदीकी सिनेमाघरों में दस्तक दे। मनोरंजन न्यूज़ गदर 2 को 4 स्टार देती है।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।