Bade Miyan Chote Miyan Review: कॉमेडी और एक्शन का डबल डोज, अक्षय-टाइगर की जोड़ी ने खूब लूटी तारीफें

Bade Miyan Chote Miyan Review: अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ अभिनीत बड़े मियां छोटे मियां की समीक्षा पढ़िए।
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Bade Miyan Chote Miyan Review: अक्षय कुमार (Akshay Kumar) और टाइगर श्रॉफ (Tiger Shroff ) अभिनीत बड़े मियां छोटे मियां (Bade Miyan Chote Miyan) ने ईद के मौके पर सिनेमाघरों में हाजिरी लगा दी है। इस फिल्म का 1998 में आईं इसी नाम की फिल्म से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, अक्षय और टाइगर को अपने नए मिशन का नाम अमिताभ बच्चन और गोविंदा की फिल्म से मिलता है। फिल्म में बड़े का नाम फिरोज उर्फ फ्रेडी है और छोटे का राकेश उर्फ रॉकी है। इसके अलावा भी इनका एक तीसरा दोस्त है, जिसका नाम कबीर है। लेकिन वह बाद में उनका दुश्मन बन जाता है। अब अगर बात करे, पर्दे पर चल रही फिल्म के बारे में, तो फिल्म में काफी एक्शन का डोज है, जिसे दर्शको द्वारा खूब पसंद किया जा रहा था। इस फिल्म में कई शानदार कलाकार है, जिन्होंने बेहतरीन ढंग से दर्शको को लुभाने की कोशिश की है। फिल्म कहीं-कहीं मनोरंजन के पटरी से उतरी हुई नजर आईं, मगर जल्दी लेखन विभाग ने अपनी गलती सुधार ली है।

फिल्म की कहानी

फिल्म की शुरुआत हथियारों के एक सौदागर द्वारा भारतीय सेना के एक गोपनीय ‘पैकेज’ को लूटने से शुरू होती हैं, जिसमें देश को सुरक्षित करने वाली एडवांस कवच है। अब सेना में मौजूद उच्च आधिकारी (रोनित रॉय) इस कवच को पुनः प्राप्त करने का कार्य फ्रेडी और रॉकी को दिया गया है, जो बिगड़ैल सैनिक हैं और उनके बीच उम्र का बहुत बड़ा अंतर है। फिल्म की कहानी अतीत से वर्तमान और वर्तमान से अतीत में चलती है, जिस दौरान कई बड़े सच सामने आते हैं और जल्द ही सभी को पता चलता है कि कबीर अपने सबसे अच्छे दोस्तों का दुश्मन क्यों बन गया है। इस दोस्ती- दुश्मनी के बीच दर्शको को कई हंसाने वाले दृश्य देखने को मिलते हैं, जिसका सभी खूब लुफ्त उठाते हैं।

कलाकारों का प्रदर्शन

अक्षय कुमार ने बेहद निराला प्रदर्शन किया है, जिससे फिल्म में नई परत जुड़ी है। वहीं टाइगर श्रॉफ ने भी बेहद कमाल का काम किया है और दर्शको को लोट-पोट करने की कोशिश की है। इस फिल्म में टाइगर ने खूब मेहनत की है, जो उनके किरदार में झलकता नजर आता है। इसके अलावा कुछ पलों के लिए सोनाक्षी सिन्हा भी स्क्रीन पर आती हैं, लेकिन इमोशनल सीन के दौरान वह दर्शकों को लुभाने में नाकामयाब नजर आती हैं।

मानुषी पर भारी पड़ी अलाया

मानुषी छिल्लर ने दर्शको का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की खूब कोशिश की, मगर वह इसमें सफल नहीं रही। उनका किरदार बेहद प्यारा है, मगर कहीं-न-कहीं वह इसमें कमजोर नज़र आईं। वहीं दूसरी ओर बातूनी साइबर सुरक्षा की जिम्मेदारी लिए अलाया दर्शको के चेहरे पर मुस्कान लाती है और सभी का ध्यान अपनी ओर खींचती है।

शानदार डायरेक्शन

‘टाइगर जिंदा है’ और ‘सुल्तान’ जैसी बड़ी हिट फिल्मों का निर्देशन कर चुके अली अब्बास जफर पांच साल बाद एक और हिट की ओर बढ़ते हुए नजर आ रहा है। फिल्म में नजर आ रहे हैं, दृश्यों और शूटिंग लोकेशन ने फिल्म में जान फूंकी है। कूल मिलाकर अली अब्बास जफर ने पूरी तरह से इस फिल्म को देखने लायक बनाया है, जिसका सबूत पर्दे पर नजर आता है।

रेटिंग

सुबह-सुबह एक नई फिल्म को देखकर ऐसा लगा, कि काफी समय बाद कुछ तड़केदार देखने को मिला है। अब रही बात रेटिंग की, तो इस फिल्म को मैं दूंगा 3.5 स्टार। ऐसे ही रिव्यू पढ़ने के लिए बने रहे हमारे साथ।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।